Friday, September 9, 2016

‘खाटों’ की लूट


‘खाटों’ की लूट ऐतिहासिक उपलब्धि है
ब्रजेश कानूनगो 

बड़ा हंगामा मचा हुआ है कि एक जनसभा के बाद उपस्थित श्रोताओं ने वहां बिछाई गईं ‘खाटो’ को लूट लिया. यह शरम की नहीं बल्कि एक अर्थ में गर्व करने की बात होना चाहिए. मेरे ख़याल से यह दुनिया में पहली और अकेली बात होगी जब हमारे लोगों ने इतनी बड़ी संख्या में खुले आम लूट की महानतम घटना को अंजाम दिया. यह मामूली घटना नहीं है. संख्या के लिहाज से भी और साहस के हिसाब से भी. किसी भी लूट में हजारों की संख्या में लुटेरों ने कभी इतना जोरदार धावा नहीं बोला है. और यह भी एक रिकॉर्ड ही है कि उपस्थित सामान्य लोग अकस्मात् अपराधी बन बैठे और हजारों की संख्या में वहां बिछी हुईं खाटें उठा ले गए. यह हमारी एक बड़ी उपलब्धि है. गिनीज बुक सहित दुनिया की सभी रिकॉर्ड पुस्तकों में इसे दर्ज किया जाना चाहिए.

यह समझा जाना चाहिए कि हिन्दुस्तानी समाज में खटिया की बहुत महवपूर्ण भूमिका रही है. शादी ब्याह में माता पिता द्वारा बच्चों को उपहार में खटिया देने की परम्परा रही है, ‘पलंग बैठनी’ जैसी मांगलिक रस्म होती है जिसमें नव-दंपत्ति साथ-साथ जीने-मरने का संकल्प लेते हैं. घर के बुजुर्गों के अवसान के बाद गाय, छतरी, बिछौने के साथ एक खटिया भी दान की जाती है. ऐसा कहा जाता है कि इससे बड़ा पुण्य मिलता है और मृतात्मा को सीधे स्वर्ग नसीब होता है. 
आज भी जब हम ग्रामीण क्षेत्र में जाते हैं तो सबसे पहले मेजमान आपके लिए खटिया बिछाता है, बैठाता है, फिर जलपान की व्यवस्था करता है. यदि ऐसा नहीं किया जाता तो वह बहुत अपमान जनक माना जाता है , सामने वाला कहता है ’फलां ने तो हमारे लिए खटिया तक नहीं बिछाई!’ राजनीतिक पार्टी ने अपनी रैली में जरूर यही सोंचकर जनता-जनार्दन के लिए खटिया बिछाई होंगी कि वह चुनाओं में उनके निशान वाला बटन दबाकर अपना ‘खटिया धर्म’ निभाएगी. मगर अफसोस , मतदाता खटिया ही ले उड़े.

खाटें ही निशाना क्यों बनीं ? अंततः खाटों में ऐसा क्या था जो वे उन पर टूट पड़े. खाटों के लिए एक दूसरों को घायल तक कर दिया. खाटों को लूटकर वे किसकी ‘खटिया खडी’ करना चाहते थे ? अगर खटिया खडी भी करना चाहते हैं तो वह सीधी खडी करना चाहते हैं या उल्टी खडी करना चाहते हैं. किसी के सिधार जाने के बाद जब खटिया का पैरों के तरफ वाला हिस्सा दीवार पर सटाकर ऊपर की ओर रखकर खडा किया जाता है उसे खटिया को उल्टी खडा करना कहा जाता है. उम्मीद करते हैं लुटरे मतदाता खाटों को घर ले जाकर जरूर सीधा खडा करेंगे, यही सबके हित में होगा. किसी भी राजनीतिक पार्टी के गुजर जाने की आकांक्षा करना प्रजातंत्र की मौत की तरह होगा.

ब्रजेश कानूनगो
503,गोयल रिजेंसी,चमेली पार्क, कनाडिया रोड, इंदौर -452018



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