Thursday, September 15, 2016

हम समुद्र को बचाना चाहते हैं

व्यंग्य
हम समुद्र को बचाना चाहते हैं  
ब्रजेश कानूनगो

नमक को लेकर हम लोग बहुत चिंतित रहते हैं। एक कवि ने तो कहा भी है कि हमें समुद्र को बचाना चाहिए क्योंकि  सारा नमक वहीं से आता है। कवि समुद्र को बचाने की बात करता है। बड़ी बात करता है वह।  यही दृष्टि उसे बड़ा और महत्वपूर्ण कवि बनाती है। साहित्य और कविता में ही नहीं जीवन में भी नमक का बड़ा महत्त्व है. नमक के बिना सब बेस्वाद होता है।

डॉक्टरों का हमेशा जोर रहता है कि लोग नमक से परहेज करें। इनकी बातों में आकर कल कहीं नमक पर प्रतिबंध लगा दिया गया तो हम हिंदुस्तानियों का तो आधा खून ही  सूख जाएगा। हमारे  चेहरों की चमक और जोश इस नमक के कारण ही तो कायम  है। नमक का विज्ञापन जब-जब टीवी पर आता है, मेरा रक्तचाप बढ़ने लगता है. पांच रुपयों की वही नमक की थैली अब पच्चीस में जो मिलने लगी है. आप तो जानते ही हैं हरेक वजनदार विज्ञापन हमारी जेब को हल्का बना देता है.

कुदरती तौर पर शरीर में भले ही मौजूद होता है मगर ‘नमक’ तत्व भोजन से होते हुए जीवन में समाहित होता चला जाता है पहले जिह्वा पर उसके करिश्में होते हैं, फिर हमारे संस्कारों और आचरण में भी लगातार उसके जलवे दिखाई देने लगते हैं.

चाट, पकौड़ी, कचोरी ,समोसा, क्या बगैर नमक के इनकी  कल्पना की जा सकती है ? क्या बगैर नमक के  जीवन में कोई आनंद है। वह लोग भी भला कैसे जीते होंगे जिन्हे  नमक खाने से मना किया गया होता है। वह जीना भी कोई जीना है।

एक पड़ोसन  जब दूसरी पड़ोसन से  बात कर रही हो  तब चुपके से ज़रा उसका आनंद लीजिए.   मूल बात कैसी भी बोरिंग रही हो लेकिन नमक लगा लगा कर उसका बड़ा ही चटकारेदार  स्वरूप सुनने को मिलेगा. अपने दफ्तर के बड़े बाबू से अपने बॉस की कोई  कमजोरी पर बात करके देख लीजिए. फिर देखिये नमक का कमाल !  दूसरे दिन आपको बॉस का प्रेम-पत्र मिलना सुनिश्चित है.

यह  नमक बड़ा महा प्रतापी होता है. कई टीवी चैनल इसी की वजह से छाये रहते हैं और अपनी रोजी-रोटी को बनाए रखते हैं.  एक चैनल के संपादक को इसलिए निकाल दिया गया  कि वह खबरों में पर्याप्त नमक नहीं लगा रहा था . बाद में एक युवा रिपोर्टर को वरिष्ठ सम्पादक बना दिया गया क्योंकि वह  पहले नमक इकट्ठा करता था , फिर थोड़ी सी  खबर भी नमक के साथ प्रसारित कर देता था. नमक बड़ा ताकतवर होता है तथा किसी भी व्यक्ति को उठा-गिरा सकता है.
एक मंत्री महोदय ने अपने एक निकट संबंधी अफसर का स्थानांतरण उपजाऊ क्षेत्र में करवा कर उसको एवं उसके परिवार वालों को  नमक प्रदान किया.  बाद में  उन्हीं मंत्री महोदय के सत्ता से बाहर हो जाने पर अफसर ने मंत्रीजी के परिजनों को जहां-तहां  नौकरियां देकर  नमक का हक अदा कर दिया .  नमक अपना हक मांगता है. कोई नमकीन समोसा खिला कर अपना काम करवाना चाहता है तो आप उसे निराश कर ही नहीं सकते.

नमक का उपयोग अस्त्र के रूप में भी पर्याप्त रुप से किया जा सकता है. अगर आपको अपने विरोधी की कोई दुखती रग नजर आये तो उस पर तुरंत नमक रख दीजिए, वह तिलमिला उठेगा. उसका तिलमिलाना आपकी आत्मा को विशेष ठंडक पहुंचाएगा. केवल ध्यान इतना जरूर रखना होगा कि कहीं सामने वाला आपकी किसी दुखती रग या घाव न देख ले. क्योंकि पहले मारे सो मीर.

चारों ओर नमक का साम्राज्य दिखाई देता है. लोगों के लिए अलग-अलग धर्म स्वैच्छिक और निजी आस्था के भले ही हो सकते हैं, मगर ‘नमक का धर्म’ सभी में व्याप्त है. इसीलिए नमक को बचाने की चिंता में हम समुद्र को बचाना चाहते है.

ब्रजेश कानूनगो

503, गोयल रिजेंसी,चमेली पार्क, कनाडिया रोड, इंदौर -452018   

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