व्यंग्य
आदेश और आदेश
ब्रजेश कानूनगो
लाखों शिव मंदिरों में भगवान भोलेनाथ के
सामने नंदीगण केवल इस प्रतीक्षा में बैठे हैं कि आदेश हो तो वे उठ खड़े हो. बगैर
आदेश के पत्ता भी नहीं खड़कता . तब वे कैसे खड़े हो सकते हैं, और फिर
भगवान भोले भी लंबी समाधि लगाए बैठे हैं. वह कोई भारतीय प्रधानमंत्री तो हैं नहीं कि
लाल किले की प्राचीर से आदेश दें कि उठो नंदियों-
गरीबी हटाओ और सारी व्यवस्था फावड़ा-कुदाली लेकर गरीबी हटाने में जुट जाएं. आदेश
दें कि विचार करो और समूचा राष्ट्र विचार मग्न हो जाए, स्वच्छता के सन्देश के लिए आदेश
दें कि राष्ट्र की गन्दगी दूर करो और
समूचा देश झाडुएँ थामें सड़कों पर उतर आएं.
आदेश नागरिक की रगो में रक्त संचार और ऊर्जा
के उत्पादन के लिए आवश्यक उत्प्रेरक है. आदेश के अभाव में व्यक्ति मात्र एक रोबोट
है. आदेश रूपी बटन के दबते ही वह गतिमान हो जाता है और आदेश के पालन में जुट जाता
है.
भगवान भोले को आदेश देने का अधिकार है वहीं
नंदी, गणेश, कार्तिकेय वगैरह द्वारा आदेश का पालन करना उनका धर्म है कर्तव्य है.
आदेश होता है दुनिया की परिक्रमा करिए. कार्तिकेय दौड़ पढ़ते हैं अराउंड द वर्ल्ड,
उधर गणेश भारी भरकम शरीर के स्वामी. दौड़ना नामुमकिन. तुरंत शरीर की बजाय बुद्धि
दौड़ाई और लगा दिया माता-पिता का चक्कर. हो गया वर्ल्ड टूर. अपनी चतुराई और वाक्-पटुता
से आदेश देने वाले पैरेंट्स को प्रभावित किया और जीत गए मैराथन. गणेश स्टाइल में
आदेश का पालन करने वाले भगवान भोले को प्रिय होते हैं. उनकी गोद में बैठने के
हकदार होते हैं. कार्तिकेय की नियति दुनिया का चक्कर लगाते रहना ही है. क्षण भर
बैठने, सुस्ताने का समय नहीं है. और ना ही उन्हें दूर दूर तक कोई ठौर नजर आता है.
गुरुकुल में राजकुमार बैठे हैं. आदेश होता
है पाठ याद किया जाए- सदा सच बोलो, क्रोध न करो. युधिष्ठिर पाठ याद करने और उनके
क्रियान्वयन में जुट जाते हैं. आदेश का पालन दूसरे राजकुमार भी करते हैं लेकिन
साथ-साथ अपना धनुष बाण भी चलाते रहते हैं. स्वयंवर में अर्जुन ने मछली की आंख का
निशाना लगा कर गुरु और गुरूकुल का नाम रोशन कर दिखाया और युधिष्ठिर सिर्फ सच ही
बोलते रह गए. इतिहास की सीख आज अर्जुन ही अर्जुन नजर आते हैं. आदेश का पालन तो करते हैं
मगर मछली की आंख का निशाना लगाने का अपना निजी अभ्यास भी जारी रखते हैं.
आदेश पालन एक हार्मलेस प्रक्रिया है. पालन
करने वाले को कोई नुकसान नहीं उठाना पड़ता. आदेश होता है- आन्दोलनकारियों पर लाठी चलाओ. पुलिस वालों को निश्चिंत होकर प्रहार
करने में कोई कष्ट नहीं है, उनका कोई क्या बिगाड़ लेगा. पता आदेश देने वाले का
पूछा जाएगा कि भाई किसके आदेश से लाठियां बरसाई गई. आदेश होता है वृक्षारोपण करिए.
चारों ओर गड्ढे ही गड्ढे और छोटे छोटे से मुरझाए से पौधे नजर आने लगते हैं. अब अगर
बगैर देखभाल के पौधे सूख जाते हैं या बकरियां चर जाती हैं तो जवाब आदेश देने वाले
से मांगा जाएगा कि जनाब क्या हुआ आप के आदेश का? कहां है हरियाली आदेश पालन से अगर
परिणाम अप्रिय आता है तो आदेशक कोसा जाएगा, यदि परिणाम अच्छा निकलता है तो आदेश
देने वाले और आदेश का पालन करने वाले दोनों की वाहवाही होती है. मसलन मेहमान बैठे
हैं, बेबी को आदेश होता है- बेटे आंटी को पोयम सुनाओ. बेबी आदेश का पालन करते हुए
कुछ अंग्रेजी शब्द उगलती है. मेहमानों के सामने बेबी की प्रतिभा तो प्रदर्शित होती
ही है, साथ ही डैडी-मम्मी का सीना भी गर्व से दो इंच फूल जाता है.
बहरहाल, घर से लेकर दफ्तर बाजार से लेकर फ़ौज
तक आदेश दिए जाते हैं, आदेश लिए जाते हैं.
कोई पालन करता है, कोई पालन करता हुआ प्रदर्शित करता है. सिलसिला जारी है, जारी
रहेगा.
ब्रजेश कानूनगो
503,गोयल रीजेंसी, चमेली पार्क, कनाडिया
रोड, इंदौर-452018
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