Saturday, February 27, 2021

तुम्हारा नाम क्या है 'शेखर बाबू'

तुम्हारा नाम क्या है 'शेखर बाबू'   


मित्र साधुरामजी उस दिन बड़ी हड़बडी में घर आए तो बहुत चिंतित दिखाई दे रहे थे. बापू जिस तरह कमर में घड़ी लटकाए रहते थे उसी तरह मोबाइल फोन फीते से बंधा उनके गले में लटक कर कुरते की ऊपरी जेब में पड़ा होता है. चौबीसों घंटों का साथी. लेकिन उस दिन वह अपने नियत स्थान पर न होते हुए उनके बाएँ हाथ में नजर आया. दाहिने हाथ को हवा में लहराते हुए कहने लगे, ‘बंधु, ये शेखर बाबू को अचानक क्या हो गया? कल ही तो मैंने उन्हें अपनी रचना भिजवाई थी प्रकाशन हेतु. आज अस्पताल में पड़े हैं.’

‘तो इसमें इतना परेशान होने वाली क्या बात है? आपकी रचना उनका सहायक सम्पादक अखबार में कॉपी पेस्ट कर देगा.’ मैंने चुटकी ली. जब से डिजिटलाइजेशन हुआ है तब से प्रायः यही हो रहा है.

‘अरे यार, तुम्हे तो हर वक्त चुहल ही छूटती है, वे बेचारे परेशान हैं, टांग टूट गयी है, अस्पताल में भरती हैं और तुम्हे मजाक सूझ रहा है. ज़रा मानवीयता से काम लो.’ साधुरामजी चिढ़ गए.

‘ठीक है नाराज मत होइए; आपको कैसे पता चला कि शेखर जी घायल हो गए हैं?’ मैंने पूछा.

‘यह देखिये वाट्सएप पर खुद उनका ही सन्देश आया है, बड़ी परेशानी में हैं, खुद कह रहे हैं कि दो हजार रूपये की मदद कर दीजिये, शाम तक लौटा भी देंगें.’ साधुरामजी ने अपना मोबाइल खोलकर मेरे आगे स्क्रीन कर दिया.

‘अरे! तो उनसे बात कर लीजिए काल करके.’ मैंने सलाह दी.

‘काल भी किया है लेकिन उठा नहीं रहे, इमरजेंसी वार्ड में होंगे शायद.’ साधुरामजी बोले.

मैंने उनका मोबाइल देखा. सारा मामला साफ़ हो गया. शेखर बाबू का नंबर हैक हो गया था. दूसरी तरफ शेखर बाबू नहीं कोई ‘हैकर बाबू’ थे.

वाट्सएप संवाद कुछ इस तरह हुआ था; हेलो...आप से एक काम था....बोलिए सर...दो हजार रूपये की तत्काल जरूरत है... शाम को लौटा देंगे...नंबर दीजिए सर, किस पर ट्रांसफर करना है... सर फोन क्यों नहीं उठा रहे?... ऑफ है...आप पैसे  डाल दीजिये...शाम तक लौटा देंगे...’

‘आपने रुपए ट्रांसफर तो नहीं किए साधुरामजी?’ मैंने चिंता व्यक्त की.

‘अभी तक तो नहीं किए, आपके पास इसीलिए आया हूँ मेरा डिजिटल बैंकिंग का अनुभव नहीं है. आपके खाते से कर दीजिए अभी, मैं आपको नकद दे देता हूँ.’ वे बोले.

‘रुकिए, जल्दी मत कीजिए... थोड़ी बातचीत और करते हैं उनसे..’ मैंने शेखर बाबू से संवाद को कुछ आगे बढाया...’सर,यह सब कैसे? कब हो गया?... प्रेस से घर जा रहा था...स्कूटर फिसल गया... नजदीक के अस्पताल में भरती करा गया कोई रिक्शावाला... बहुत बुरा हुआ सर....ध्यान रखियेगा अपना... वह तो रख रहा हूँ आप दो हजार रूपये डाल दीजिये प्लीज...इलाज शुरू होना है...जी अवश्य आप फ़िक्र न करें...नंबर दीजिये...आप फोन क्यों नहीं उठा रहे?....ये नंबर है....इस पर ट्रांसफर करिए....शाम को लौटा देंगे... ठीक है सर...करता हूँ...सर एक कविता भेजी है....आप पैसे डाल दीजिये...बहुत जरूरत है...सर कविता पढ़िए नई वाली... तुम पैसे डालो यार....अच्छा सर एक व्यंग्य ही पढ़ लीजिए.... तुम पैसे डाल रहे हो या नहीं...सर आप व्यंग्य देख रहे हो या नहीं...चलिए एक दोहा ही पढ़ लीजिए...अरे यार बीमार को और परेशान मत करो...यह ठीक नहीं... अरे सर पढ़ लीजिये दोहा नहीं तो हायकू भेज दूंगा...मेरे पास ताका भी है....अच्छा यही बता दीजिये आपका नाम क्या है शेखर बाबू...?’ हैकर बाबू की बोलती बंद हो गई थी, अब वे वॉट्सएप से गायब हो चुके थे...!

ब्रजेश कानूनगो