Sunday, September 6, 2020

एक कुत्ते की मौत

एक कुत्ते की मौत


अक्सर वीकेंड पर साधुरामजी और मैं लांग ड्राइव के लिए निकल जाते हैं। इससे मेरी पुरानी कार भी हमारे साथ थोड़ी सी ताजगी प्राप्त कर लेती है।

घर से थोड़ी दूर ही पहुंचे होंगे कि एक पिल्ले ने मेरी कार के सामने आकर खुदकुशी करने का विचार बनाया। मैं कह नहीं सकता किस वजह से उसने मेरी ही कार को आत्महत्या का माध्यम बनाया होगा।

'कुत्ता कहीं का, इसे मेरी ही कार मिली मरने के लिए!'  घबराहट में मेरे मुंह से उस के लिए कुत्ते की ही गाली निकली। मुझे गुस्से के साथ साथ एतराज भी था कि वह इंसानों के लिए बनाई गई सड़क पर आया ही क्यों!' 

'तुम्हारा मतलब है कि जब कुत्ते के पिल्ले कोई सडक पार करें तब उन्हे इतना अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि वह उनके बाप दादा की जागीर नही है कि यहाँ वहाँ ताकते हुए उस पर आराम से चहल कदमी करते फिरें। सडक सरकार की होती है, यह सरकार की मर्जी पर है कि उस पर भ्रमण करने की इजाजत वह किसे दे और किसे नही दे। कुत्ते और अन्य प्राणियों के पिल्ले कोई टैक्स नही चुकाते कि वे भी उसका उपयोग करें और फ्री-फोकट में हमारी गाडियों के सामने आकर हमारी जान को मुसीबत में डालें।' साधुरामजी चुहुल के मूड में आकर मजे लेने लगे।

'और नहीं तो क्या! न कुत्ते का बच्चा सडक का साझेदार बनने की कोशिश करता न वह हमारी गाडी के रास्ते में रुकावट बन पाता।  स्वयं की गलती का खामियाजा तो उसको भुगतना ही पडेगा साधुरामजी।'  अब थोड़ा मूड मेरा भी बनने लगा था।

'जब हम बडे आराम से कैलाश खैर के सूफियाना प्रेम गीतों के रस में सराबोर होते हुए सफर का मजा ले रहे थे कि साले इस कम्बख्त कुत्ते के पिल्ले ने सारा मजा किरकिरा करके रख दिया। यह तो अच्छा हुआ कि सामने कुत्ते का पिल्ला ही आया, खुदा ना खास्ता कोई आदमी का बच्चा आ गया होता तो.. हमारी तो सारी दबंगई निकल गई होती।' साधुरामजी पूरे फॉर्म में आ गए।

हम कहां पीछे रहने वाले थे थोड़े दार्शनिक अंदाज में कहने लगे-'यों देखा जाए तो यह बात केवल डामर और सीमेंट से बनाई गई सडकों तक ही सीमित नही है मित्र, जहाँ अनाधिकृत जीवों का आना-जाना बना रहता है...देश में कई प्रकार की अन्य सडकें भी हैं और उन पर कई प्रकार की गाडियां दौड लगा रहीं हैं।'
'जैसे? जरा स्पष्ट तो करो...' साधुरामजी ने मेरी तरफ ताकते हुए कहा।

'मसलन राजनीति को ही लें। यह भी एक सडक ही है। अनेक पार्टियाँ अपनी अपनी विचारधाराओं के रंगों और रणनीति की विभिन्न तकनीकों से लेस हो कर सत्ता प्राप्ति का महान लक्ष्य लिए प्रजातंत्र की सडक पर दौड लगा रही हैं। अब इस दौड में यदि कोई अवांछित आपके राजनीतिक हितों की राह में आकर बाधक बन जाए तो उसका तो कुत्ते के बच्चे की तरह कुचल जाना निश्चित ही है।' मैंने साधुरामजी की कमजोर नस को दबाया।

'तो भैया, इस बात को तो अब यहीं खत्म करो और जरा इन बेलगाम पिल्लों पर अंकुश लगाने का उपाय करो वरना ये इसी तरह हमारी खुशनुमा राह में आकर हमें मुश्किल में डालते रहेंगे।' कहते हुए साधुरामजी ने प्रसंग का लगभग पटाक्षेप ही कर दिया।

ब्रजेश कानूनगो











 

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