व्यंग्य
महानता का लक्ष्य और
पूर्व तैयारी
ब्रजेश कानूनगो
मानव इस जुगाड़ में लगा रहता है कि कभी न कभी वह ‘महा मानव’ कहला सके। रथ पर सवार सैनिक ‘महारथी’ का गौरव अर्जित करने के लिए तमाम जद्दोजहत में संलग्न रहता है। महानता की यह लालसा हर काल खंड में हरेक क्षेत्र में देखने को मिलती है.
मानव इस जुगाड़ में लगा रहता है कि कभी न कभी वह ‘महा मानव’ कहला सके। रथ पर सवार सैनिक ‘महारथी’ का गौरव अर्जित करने के लिए तमाम जद्दोजहत में संलग्न रहता है। महानता की यह लालसा हर काल खंड में हरेक क्षेत्र में देखने को मिलती है.
महान लोग सदैव अपने लक्ष्य पर
ध्यान केन्द्रित करते हैं। निशानेबाज को केवल
टारगेट दिखाई देता है। कुछ प्राकृतिक रूप से टारगेट होते हैं, कुछ को टारगेट किया
जाता है. जैसे अर्जुन ने चिड़िया की आँख को टारगेट किया था। लोकतंत्र में नेता विजेता बनने के लिए वोटर को
टारगेट करता है। अर्जुन अपने फन में उस्ताद था। अर्जुन का लक्ष्य निशाना
साधते वक्त चिड़िया की आँख होती थी। कुशल निशानेबाज था, इसलिए महान भी था। मगर इन दिनों महानता के मर्म को
जाने बिना हर कोई महान कहलाने को लालायित दिखाई देता है।
जब तक आप लक्ष्य नहीं भेद देते, तब तक महान नहीं बन सकते। महान बनने के लिए योद्धा भी बनना पड़ता है। ठीक ठाक निशानेबाज होना भी जरूरी है। वरना गोली चलती तो है मगर घायल कोई और हो जाता है। महानता की चाह में योंही कुछ लोग लक्ष्य की दिशा में चाक़ू सन्नाते रहते हैं।
अज्ञान और जल्दबाजी में कभी-कभी महानता की आकांक्षा का मरण हो जाता है। एक तो कभी वार खाली चला जाता है तो कभी सिर पर रखे तरबूज की बजाय आदमी की गरदन उतर जाती है। इसे ही बिना तैयारी के नदी में कूदना कहते हैं। नदी पार करने का लक्ष्य अधूरा रह जाता है तैराक का। समुद्र लांघ जाने का बड़ा लक्ष्य धरा का धरा रह जाता है। उथले जल में डूब जाने से एक महान तैराक के महान हो जाने की संभावना असमय काल कलवित हो जाती है।
इसलिए संत भी कह गए हैं, ‘हे राजन! पूरी तैयारी के साथ महायज्ञ में ज्वाला को प्रज्वलित करें! हवन सामग्री की शुद्धता का भी ख़याल रखें। अशुद्ध सामग्री से धूम्र उत्पन्न होता है। यह धुंआ प्रासाद के गुम्बद में उपस्थित मधुमक्खियों को कदापि प्रिय नहीं होता। वे महानता के महोत्सव के आनन्द और उल्लास में बाधक होने को तत्पर हो उठती है।
सामान्य जन तक आवश्यक तैयारी रखते हैं। बिजली गुल होगी तो अन्धेरा घिर आयेगा इसलिए रात को दियासलाई और मोमबत्ती साथ में रखकर सोते हैं। बारिश आने के पहले किसान अपने खेत जोत लेता है. बेशक उन्हें भी महानता की उतनी ही चाह होती है जितनी किसी सम्राट और योद्धा को। महान तो वे भी हैं जिन्होंने हमारे लिए कुएँ खोदे, तालाब बनाए। वरना हम और हमारे खेत प्यासे रह जाते, बस्ती में आग लगती तो हम शायद तुरंत उसे बुझा भी नहीं पाते।
जब तक आप लक्ष्य नहीं भेद देते, तब तक महान नहीं बन सकते। महान बनने के लिए योद्धा भी बनना पड़ता है। ठीक ठाक निशानेबाज होना भी जरूरी है। वरना गोली चलती तो है मगर घायल कोई और हो जाता है। महानता की चाह में योंही कुछ लोग लक्ष्य की दिशा में चाक़ू सन्नाते रहते हैं।
अज्ञान और जल्दबाजी में कभी-कभी महानता की आकांक्षा का मरण हो जाता है। एक तो कभी वार खाली चला जाता है तो कभी सिर पर रखे तरबूज की बजाय आदमी की गरदन उतर जाती है। इसे ही बिना तैयारी के नदी में कूदना कहते हैं। नदी पार करने का लक्ष्य अधूरा रह जाता है तैराक का। समुद्र लांघ जाने का बड़ा लक्ष्य धरा का धरा रह जाता है। उथले जल में डूब जाने से एक महान तैराक के महान हो जाने की संभावना असमय काल कलवित हो जाती है।
इसलिए संत भी कह गए हैं, ‘हे राजन! पूरी तैयारी के साथ महायज्ञ में ज्वाला को प्रज्वलित करें! हवन सामग्री की शुद्धता का भी ख़याल रखें। अशुद्ध सामग्री से धूम्र उत्पन्न होता है। यह धुंआ प्रासाद के गुम्बद में उपस्थित मधुमक्खियों को कदापि प्रिय नहीं होता। वे महानता के महोत्सव के आनन्द और उल्लास में बाधक होने को तत्पर हो उठती है।
सामान्य जन तक आवश्यक तैयारी रखते हैं। बिजली गुल होगी तो अन्धेरा घिर आयेगा इसलिए रात को दियासलाई और मोमबत्ती साथ में रखकर सोते हैं। बारिश आने के पहले किसान अपने खेत जोत लेता है. बेशक उन्हें भी महानता की उतनी ही चाह होती है जितनी किसी सम्राट और योद्धा को। महान तो वे भी हैं जिन्होंने हमारे लिए कुएँ खोदे, तालाब बनाए। वरना हम और हमारे खेत प्यासे रह जाते, बस्ती में आग लगती तो हम शायद तुरंत उसे बुझा भी नहीं पाते।
ब्रजेश कानूनगो
503,गोयल रिजेंसी,चमेली पार्क,
कनाडिया रोड, इंदौर-452018
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