Saturday, February 24, 2024

तीन सौ सत्तर की बेला में

तीन सौ सत्तर की बेला में 

वे मेरे बचपन के मित्र हैं. पक्के वाले. नदी पर नहाने जाते थे तो कभी कभी हम अपना कच्छा भी शेयर कर लिया करते थे. दोस्त इसलिए हमें लंगोटिया यार अब तक मानते रहे हैं. वे मुझसे उम्र में कोई एक दो बरस बड़े ही होंगे. स्कूल में मेरे सीनियर भी रहे किंतु एक साल उनके साथ पढ़ने के बाद मैं अगली कक्षा में चला गया. बाद में छोटे भाई के साथ भी उन्होंने कक्षा की बैंच का साथ निभाया. कालांतर में मैं दफ्तर में बाबू हो गया और वे पार्टी का झंडा बैनर उठाते उठाते पार्षद जैसे पद तक पहुंच गए. उनका सम्मान समाज में शनै शनै बढ़ता गया. शुरू से मैं उन्हें  ' श्री 108 श्री ' के विशेषण के साथ आदर भाव से संबोधित करता रहा हूं. 

वे आए तो उसी भाव से स्वागत किया, आइए आइए श्री 108 श्री साधुरामजी! '
बंधु, अब आप कृपया 108 वाला विशेषण मेरे नाम के आगे न जोड़ा करें. वे बोले.
ऐसा क्यों भाई?  इसमें क्या बुराई है. विद्वानों और महान लोगों के आगे श्री लगाना हमारी परंपरा रही है. जिसके आगे जितने श्री उसका उतना बड़ा मान. 108 से लेकर 1008 श्री लगाने की प्रथा है हमारे यहां. मैने कहा.
बंधु, 108 का आंकड़ा अब घिस चुका है. महत्वहीन हो गया है. नए दौर में सब कुछ नया हो रहा है. बदलाव की हवा बह रही है. कोई दूसरा अंक लाइए. साधुरामजी ने मुस्कुराते हुए कहा.
आप ही बताइए क्या कहूं आपको? 'श्री 56 श्री' कैसा रहेगा? 
बंधु यह भी घिस चुका है. इसकी भी चमक उतर गई है.
तो फिर आप ही सुझाइए. मैने कहा.
बंधु मार्केट में इन दिनों एक ही आंकड़ा चल रहा है. आप भी उसका प्रयोग कर सकते हैं. हर जगह 370 की चर्चा है. 370 का अंक आंकड़ों का सरताज है. आप 'श्री 370 श्री ' का उपयोग करके मुख्य धारा में प्रवेश कर सकते हैं. उन्होंने सुझाव दिया.
अरे वाह साधुरामजी आपने यह बात बड़ी खूब कही है. मेरा तो ध्यान ही नहीं गया इस ओर. लोकसभा चुनाओं में भी एक पार्टी 370 सीटों पर जीतने का आह्वान कर रही है तो दूसरी 370 पर उसे हराने के लिए रणनीति बनाने में जुटी है. आपका सुझाव सचमुच विचारणीय है. 370 के आंकड़े में देशभक्ति की ध्वनि निकलती है और राष्ट्रप्रेमी होने का गौरव भाव भी जागृत होता है. मैने कहा.

हममें और तुममें  समझ का यही तो अंतर है. तुम नीरस आंकड़ों के बस बाबू बने रहे और हमने इनमें नौ रस खोज लिए. आंकड़ों की व्यंजना में वीरता, दृढ़ता, संदेश और गौरव पताका फहराने की दृष्टि लोक जीवन से ही प्राप्त होती है. यह तुम क्या जानो बंधुवर!  साधुरामजी पूरे फॉर्म में आ गए थे, विद्वता उनके श्रीमुख से प्रवाहित हो रही थी.

मैने सोचा शायद ईश्वर सुमिरण की माला में भी साधुरामजी ने 108 मनकों की जगह 370 मनके रख लिए होंगे. 
मैं उनसे पूछता उसके पहले ही वे बोल उठे, बंधु अब इजाजत दीजिए संगठन की बूथ मैनेजमेंट बैठक में जाना है. इस बार हर बूथ पर पार्टी को कम से कम  370 वोटों से विजय दिलवाने का लक्ष्य प्राप्त करना ही है.
इतना कहकर श्री 370 श्री साधुरामजी मोहल्ला पार्टी कार्यालय की ओर कूच कर गए.

ब्रजेश कानूनगो

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