Monday, September 6, 2021

सिर पैर की बात!

सिर पैर की बात!


पूरे शरीर में दर्द हो रहा हो। नाक भी बह रही हो। आंखों में जाले पड़े हों, धुंधला दिखाई दे रहा हो। त्वचा पर खुजली चल रही हो। रात को नींद नहीं आती। कुछ न कुछ बड़बड़ाने का मन करता हो। बुखार 100 डिग्री से ऊपर बना ही रहता हो। चलने पर कभी कभी चक्कर भी आने लगते हों। खाने पीने का मन नहीं करता। जीभ का स्वाद चला गया हो।अब बताइए....?

जी नहीं मैं बीमारी का नाम नहीं पूछ रहा। न  बीमार व्यक्ति की दुर्दशा का वर्णन कर रहा। न आपको डराना चाहता हूँ और न ही उस व्यक्ति के दुखों का जिक्र करके आपके आनन्द में खलल डालना चाहता हूँ।

दरअसल मैं इन सब परेशानियों के बीच यकायक उसे प्राप्त होने वाली छोटी सी उस खुशी की बात करना चाहता हूँ जिससे कठिन समय में उसे जरा सी राहत का अहसास हो जाता है। वह राहत की बात यह है कि जब कल उसने मूंग के पापड़ का एक टुकड़ा मुंह मे रखा तो उसकी जीभ में स्वाद की ग्रंथि पुनः जाग्रत हो गई।

आप सोंचते होंगे कि मैं बड़ी अजीबोगरीब बात कर रहा हूँ। बहक गया हूँ। बिल्कुल भी नहीं बहका हूँ जनाब। उस बीमार आदमी की याद मुझे यों ही नहीं आ गई है और न ही मैं बेसिर पैर की कोई बात कर रहा हूँ। इस बात का सिर ही नहीं दिमाग भी है और अपने पैरों पर चलकर मेरे पास आई है।

यह उस आनन्द की बात है, उस राहत की बात है जिसे पाकर हमारा मन बल्ले बल्ले करने लगता है। जीवन की सारी परेशानियों और दुखों को अकस्मात भूल जाने का मन करता है। जैसे ऊपर उल्लेखित वह बीमार व्यक्ति पापड़ का एक कतरा अपने मुंह में रखते ही सारी बीमारियों को महसूस करना भूलकर स्वाद के संसार में लौटने लगता है।

चलिए पहेलियां बुझाना छोड़कर सीधे बात करते हैं।

दरअसल आम आदमी ही कहानी का वह बीमार व्यक्ति है जिसे अनेक परेशानियों ने जकड़ा हुआ है। ऊपर से महंगाई डायन की कुटिल नजरें भी उसके जीवन को निशाना बनाए हुए है। पेट्रोल और गैस के दामों ने उसके जीवन के सुखों में आग सी लगा दी है।

इन संकटों के बीच एक दिन अखबार में खबर छपती है, 'पेट्रोल की कीमतों में पन्द्रह पैसों की जबरदस्त राहत'।

अब बताइए क्या असीम संकटों के बीच इस खुशखबर से किस परेशान व्यक्ति का दिल बल्ले बल्ले नहीं करने लगेगा। पन्द्रह पैसों की राहत पन्द्रह मिनट के लिए भी मन को सुकून देती हैं तो वह भी क्या कम महत्वपूर्ण बात नहीं है? जरा सोचिए!


ब्रजेश कानूनगो

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