व्यंग्य
मुक्तिमार्ग और उसका माहात्म्य
ब्रजेश कानूनगो
ज्यादातर शहरों में जो गलियां और रास्ते श्मशान की दिशा में जाते हैं उन्हें 'मुक्ति मार्ग' कहा जाता है। इन रास्तों के नामकरण के संदर्भ में कभी विवाद पैदा नहीं होते। । 'कबीर मार्ग' या 'रैदास मार्ग' जैसा यदि कुछ पुराना नाम हुआ भी तो वह अपने आप कालांतर में 'मुक्ति मार्ग' नाम में रूपांतरित हो जाता है।
श्मशान की दिशा में जाने वाले रास्ते के नामकरण में कभी कोई बांदा या लफडा नहीं पड़ता। अन्य सडकों के मामले में नगर पालिका और प्रशासन एक बड़ी झंझट में उलझ जाते हैं। 'धड़कन साहित्य समिति' का आग्रह रहता है कि अमुक मार्ग का नाम 'महादेवी पथ' रखा जाए, वहीं 'भभूति भजन मंडली' का दबाव बनता है कि मार्ग का नाम 'भोलेनाथ' पर होना चाहिये। उनका कहना भी ठीक है। शिवमंदिर तक पहुंचने वाले रास्ते का नाम लोगों का कल्याण करने वाले भगवान शिवशंकर के नाम पर नहीं होगा तो क्या किसी सेठ जी के नाम पर होगा। जबकि मंडी व्यापारी संघ चाहता है नामकरण नगर के प्रतिष्ठित दाल व्यवसायी के पितामह 'लच्छू सेठ' के नाम पर हो. भले ही संघ उनके नाम पर पूर्व में बनी धर्मशाला में हुई आर्थिक गडबडियों का केस अदालत में लड़ रहा हो, लेकिन कोशिश यही रहती है कि सड़क को प्रातः स्मरणीय समाजसेवी 'सेठ लक्ष्मीनारायण मार्ग ' के नाम पर ही पुकारा जाए।
वैसे नामकरण से होता भी क्या
है. रज्जब अली खां मार्ग पर रहने वाले स्वयं नहीं जानते कि खां साहब के संगीत की
दुनिया में कैसे जलवे हुआ करते थे. रवीन्द्रनाथ टैगौर मार्ग किसी शोपिंग माल के
नाम से जाना जाता है. अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी के नाम पर बने एमजी रोड पर
कई शहरों में हलाल और झटके का मटन बिकता रहता है. की शहरों के मुक्ति मार्गों पर एक
अलग तरह का कारोबार सेट हो चुका है. जहां गमछों,टोपी, टॉवेल से लेकर कुंकू और
म्रत्यु को प्राप्त हुए भले मानुष पर उड़ाने के लिए चिल्लर तक की दुकानें खुली हैं.
कुछ लोगों ने भूख को मृत्यु से भी ऊपर स्थान देकर नाश्ते की दुकाने जमा ली हैं. ‘मुक्ति
पथ के मूंग बड़े’ से लेकर ‘परम धाम पूड़ी सेंटर’ तक.
बहरहाल हम बात मुक्ति मार्ग की
ही करते हैं. जिस तरह किसी ख़ास विचारधारा
या दर्शन के अनेक पंथ और उप धाराएं होती हैं या राजनीतिक दलों के कई
अनुषंगी सेवा प्रकल्प होते हैं उसी तरह मुख्य मुक्ति मार्ग से जुड़ी गलियों को भी
मुक्तिमार्ग गली नंबर एक,
दो, तीन आदि के रूप में मान्यता
मिलती जाती है। इसी पते पर गांव में शेष बचे बुजुर्गों
की देह मुक्ति का समाचार लाकर डाकिया भी कोने कटे पोस्ट कार्ड को ईमानदारी से
डिलीवर करके, एक बड़ी राष्ट्रीय जिम्मेदारी
से मुक्त होता रहता है।
ब्रजेश कानूनगो
503,गोयल रीजेंसी, चमेली पार्क,
कनाडिया रोड, इंदौर 452018
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