दास्तान मुद्रा परिवार की
ब्रजेश कानूनगो
श्रीमान मुद्राजी हमारे क्षेत्र की जानी मानी
हस्ती रहे हैं, लेकिन आज वे अपने पिताजी का हाथ थामें पितामहों का अनुसरण करते हुए वानप्रस्थ के लिए
हिमालय की ओर निकल पड़े हैं।
यो समझ लीजिए जब से देश आजाद हुआ तब से मुद्रा
परिवार की प्रतिष्ठा देश-समाज में बनी हुई है। यों आजादी के पहले भी उनके पूर्वज
बड़े सम्मानित ही रहे हैं। दरअसल रियासतों और राज तंत्र के जमाने से ही उनकी साख ऐसी रही है कि उनकी उपस्थिति से सारे कामकाज बड़ी आसानी से हो जाया
करते हैं।
गुलामी के दौर में फिरंगी राजा-रानियों से उनके
परिवार की काफी नजदीकियां रही, जब देश आजाद हुआ तो वे गांधी टोपी धारण करने
लगे। चरखा भी उन्होंने खूब चलाया। सम्राट अशोक के चिन्हों को अपने भीतर संजोया।
मुद्राजी के पूर्वजों का मानना था कि महापुरुषों के विचारों की प्रेरणा से उनकी
आगामी पीढियां भी विचारवान और नेक बन सकेंगी.
इस परिवार के सदस्य भी हमारी तरह अमरता का वरदान
प्राप्त करके दुनिया में नहीं आये हैं। कुछ ने लंबी उम्र पाई और कुछ असमय भी काल
के गाल में समा गए। बरसों बरस मुद्रा परिवार सात्विक, पवित्र और शुद्धता का उदाहरण बना रहा. दीपावली जैसे
त्योहारों पर मुद्रा परिवार को सम्मानित करने की जैसे परम्परा ही पड़ गयी ।
लेकिन दुर्भाग्य से या किसी की कारस्तानी से इस कुटुंब में कुछ दूसरे लोग अपने को इसी परिवार के डीएनए वाला बताकर
शामिल हो गए। इन लोगों की नीयत में ही खोट था। मुद्रा परिवार की प्रतिष्ठा का
दुरूपयोग कर, इन नकली सदस्यों ने सब जगह अपनी गन्दगी फैलाना शुरू कर दी।
भ्रष्टाचार और अराजकता के कुत्सित लक्ष्यों के साथ ये धीरे धीरे अपना काला कारोबार स्थापित करने में संलग्न हो गए। मुद्रा परिवार के पिता और पितामह के
नाम को सबसे ज्यादा बट्टा लगाने का घृणित काम इन्होने ही किया । हरेक तरह की गन्दगी
और दुराचार के लिए परिवार के वास्तविक वरिष्ठ सदाचारियों पर उंगली उठने लगी।
महात्मा जी ने कभी स्वच्छता का पाठ पढ़ाया था
हमें। हर सरकार बापू के विचारों को अपनाने को कृत संकल्पित रहती है. स्वच्छता का अभियान हर स्तर पर जारी था। गन्दगी
दूर करने में कई बार कुछ स्वच्छ सामान भी बुहारना पड़ जाता है। ऑपरेशन में कुछ
स्वस्थ हिस्सा भी सम्पूर्ण शरीर को बीमारी से बचाने के लिए सर्जन अलग कर देता है।
इसी अभियान में मुद्रा परिवार के दोनों बड़े सदस्यों से कारोबार का लाइसेंस छीन
लिया गया। कुछ समय के लिए छोटे सदस्य निरुपाय और अक्षम सिद्ध होने लगे.
इस बीच मुद्रा परिवार में गुलाबी आभा लिए एक तेजस्वी
बच्चे ने जन्म लिया। सुकोमल बालक को जन्म लेते ही परिवार के सबसे बड़े सदस्य का
मानद ताज पहना दिया गया, इस उम्मीद से कि जल्द ही परिवार का कारोबार सभी सदस्यों
के सहयोग से फिर शुद्धता, स्वच्छता और सदाचार के साथ पुनः चल निकलेगा।
ब्रजेश कानूनगो
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