Thursday, September 8, 2022

कतरा कतरा सुख

कतरा कतरा सुख 

कोई भी चीज अचानक जीवन में आ जाए तो धड़कनें ऊपर नीचे होने लगती हैं। जैसे अचानक पता चले कि पिताजी सारी संपत्ति किसी ट्रस्ट के नाम करके सिधार गए हैं तब बेटे की मनोदशा का आकलन कीजिए। उसको तो हृदयाघात होना निश्चित ही है। बात केवल आघात की ही नहीं है,अचानक मिली बहुत सारी खुशियों के मिल जाने पर भी यही संभावनाएं बन जाती हैं। मनुष्य बड़ा संवेदनशील प्राणी है इसलिए भलाई इसमें है कि सब कुछ शनै शनै ही हो। कहा भी तो गया है, धीरे धीरे रे मना,धीरे सब कुछ होए,माली सीचे सौ घड़ा,ऋतु आए फल होए। 

बीमारी से जूझते किसी परेशान व्यक्ति को जब छोटी सी राहत मिल जाती है तो वह भी उसके स्वस्थ होने की दिशा में संजीवनी का काम करने लग जाती है। मूंग के पापड़ का एक टुकड़ा मुंह मे रखते ही बेस्वाद हुई जीभ की स्वाद ग्रंथि पुनः जाग्रत हो उठती है। जीवन आनंद से भरने लगता है। 

आप सोंचते होंगे कि मैं बड़ी अजीबोगरीब बात कर रहा हूँ। बहक गया हूँ। बिल्कुल भी नहीं बहका हूँ जनाब। उस बीमार आदमी का उदाहरण मुझे यों ही नहीं नजर नहीं आ रहा। 

दरअसल यह उस आनन्द की बात है, उस राहत की बात है जिसे पाकर हमारा मन बल्ले बल्ले करने लगता है। जीवन की सारी परेशानियों और दुखों को अकस्मात भूल जाने का मन करता है। जैसे ऊपर उल्लेखित वह बीमार व्यक्ति पापड़ का एक कतरा अपने मुंह में रखते ही सारी बीमारियों को महसूस करना भूलकर स्वाद के संसार में लौटने लगता है।

चलिए पहेलियां बुझाना छोड़कर सीधे बात करते हैं। दरअसल आम आदमी ही कहानी का वह बीमार व्यक्ति है जिसे अनेक परेशानियों ने जकड़ा हुआ है। ऊपर से महंगाई डायन की कुटिल नजरें भी उसके जीवन को निशाना बनाए हुए है। पेट्रोल और गैस के दामों ने उसके जीवन के सुखों में आग सी लगा दी है।

इन संकटों के बीच अखबार में एक दिन खबर छपती है, 'पेट्रोल की कीमतों में पन्द्रह पैसों की जबरदस्त राहत'।

अब बताइए क्या असीम संकटों के बीच इस खुशखबर से किस परेशान व्यक्ति का दिल बल्ले बल्ले नहीं करने लगेगा। पन्द्रह पैसों की राहत पन्द्रह मिनट के लिए भी मन को सुकून देती हैं तो वह भी क्या कम महत्वपूर्ण बात नहीं है? 

सिंघाड़े का आटा हुआ दो रुपए सस्ता पढ़कर व्रत उपवास प्रधान राष्ट्र के किस धर्मप्राण नागरिक का मन जयकार नहीं करने को होगा। 

एक दिन खबर आती है कि सोने का भाव सौ रुपए टूटा। चांदी का भाव पांच सौ रुपए गिरा। अब सोचिए सोने के बिस्कुट चबाने वाले और चांदी के जेवर पहनने वाले गरीबों के टूटे दिल कितने प्रफुल्लित होने लगे होंगे। 

एक दम से दी गई भारी राहत नागरिक के दिल को भारी झटका दे इससे बेहतर यही है कि सलाइन की तरह खुशी की बूंदें धीरे धीरे उस तक पहुंचाई जाएं। 

दिल का खयाल रखना बहुत जरूरी है श्रीमान!  अचानक ढेर सारी खुशियां भी घातक हो सकती हैं। इसलिए कतरा कतरा खुशी का स्वागत करना सीखिए। इसी में सबका भला है। जरा समझिए जनाब!! 


ब्रजेश कानूनगो

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